ब्रह्ममुहूर्त
रात्रि के चार प्रहर होते है| रात्रि के अंतिम प्रहर का जो चौथा भाग होता है या सूर्य उदय से सवा दो घंटे पहले का समय ब्रह्ममुहूर्त कहलाता है| शास्त्रों में इस समय की बहुत महिमा है| अतः शास्त्रों में नींद से जाग जाने का यह सबसे उत्तम समय
बताया गया है|
ब्रह्ममुहूर्त में उठने के फायदे और न उठने के नुक्सान |
ब्रह्ममुहूर्त में उठने के फायदे—
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रात को लकड़ी से बनी
किसी भी वस्तु पर तांबे के बर्तन में लगभग सवा लीटर जल भरकर उसमे दो-तीन तुलसी की
पत्तियाँ डालकर रखे| उस जल को ब्रह्ममुहूर्त
में उठकर दांत साफ़ करने से पहले घूँट-घूँट कर के पीये| इस प्रयोग से अनेक
प्रकार की बीमारियाँ जैसे- दिल, लीवर, पेट, आंत, सिरदर्द, पथरी, मोटापा आदि अनेक रोग
नष्ट होते है| अतः इस प्रयोग को
अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिये|
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ब्रह्ममुहूर्त के समय वातावरण शांत और शुद्ध होता है और विज्ञान के अनुसार हमारे वायुमंडल
में ऑक्सीजन, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, व अन्य दूसरी गैसें होती है, किन्तु
पूरे दिन के मुकाबले ब्रहममुहूर्त में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है| इसलिए इस समय किया गया कोई भी शारीरिक व
मानसिक कार्य अधिक लाभ देने वाला होता है|
ü विधार्थियों को ब्रहममुहूर्त के समय का अधिक से अधिक लाभ
उठाना चाहिए| इस समय हमारा दिमाग एक दम शान्त होता है| अतः विधार्थियों को
देर रात तक पढाई करने की बजाये ब्रहममुहूर्त में उठकर, पांच मिनट ध्यान में बैठने
के बाद अध्ययन करने से बालक को अध्ययन किया हुआ जल्दी याद होता है और अधिक समय तक
याद रहता है, उसे अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता|
ü इस समय प्राणायाम, आसन करने अधिक लाभदायक होते है, वायु
शीतल व शुद्ध होने के कारण फेफड़ो में ऑक्सीजन अच्छी तरह से जाती है और रक्त संचार
में फायदा होता है| जिससे अनेक रोग दूर होते है| एक नई शक्ति का संचार होता
है, और शरीर कमल के समान सुंदर हो जाता है|
ü ब्रह्ममुहूर्त में नींद का त्याग कर देने से शरीर में
चुस्ती आती है| मन में प्रसन्नता चेहरे पर चमक और होठों पर मुस्कान बनी
रहती है|
ü ब्रह्ममुहूर्त में देवताओं का वास होता है और इस समय किया
गया जप-तप कई गुना फल प्रदान करने वाला होता है| मानसिक कमजोरी दूर
होकर स्मरणशक्ति तेज होती है|
ü ब्रह्ममुहूर्त में किया गया स्नान गंगा स्नान के समान होता
है|
ü ब्रह्ममुहूर्त में उठने से मनुष्य कि अकाल मृत्यु से रक्षा
होती है|
BrhmMuhurt mein Uthen ke FAyde or na Uthne ke Nuksaan |
ब्रहममुहूर्त का पालन ना करने के नुकसान--
ü प्रातःकाल, जब प्रकृति देवी अपने दोनों हाथो से स्वास्थ्य,
बुद्धि, प्रसन्नता और सौंदर्य का अपार खजाना लूटा रही होती है, तब हम नींद पूरी
होने के बाद भी आलस्य में बिस्तर पर करवटे बदलते रहते है, और इस खजाने से वंचित रह
जाते है|
ü ब्रहममुहूर्त में ना उठने वाले मनुष्य को सौन्दर्य, धन,
बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि कि प्राप्ति नहीं होती|
ü ब्रहममुहूर्त में ना उठने से शरीर में सुस्ती रहती है, किसी
भी कार्य को करने का मन नहीं करता और मनुष्य आलसी बना रहता है|
ü इस समय प्राणायाम, आसन, जप-तप करने से जो अनेक प्रकार के फायदे होते है, हम
उनसे वंचित रह जाते है और शरीर में अनेक प्रकार के रोग निवास करने लग जाते है|
महात्मा गाँधी जी
भी अपने दिनचर्या में ब्रहममुहूर्त का पालन करते थे| वे सुबह 3 बजे उठते और शौच-स्नान आदि करके कुछ समय प्रभु-स्मरण में बैठते और
फिर अपने दिन-भर के कार्यों में लग जाते| अतः हमे भी महापुरुषों, ऋषि-मुनियों, गुरु-जनों के पद चिन्हों
पर चलकर ब्रह्ममुहूर्त में उठने से होने वाले अनगिनत फायदों का लाभ उठाना चाहिए|
प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में उठने के लिए रात को 10 बजे तक सो जाना
चाहिए| सोते समय मन में आने वाले अनेक प्रकार के विचारो को हटाकर
मन को शांत करे| मन ही मन गुरुदेव को याद करते हुए, ब्रहममुहूर्त में उठने
का दृढ़ संकल्प ले|
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