माँ किसी भी संतान की प्रथम
गुरु होती है. माँ का बच्चे के जीवन मैं बहुत ही महत्वपूर्ण प्रभाव होता है. किसी
ने सच ही कहा है: जननी जने तो भकत जन, के दाता के शुर; नहीं तो जननी भांज रहे,
वयर्थ न ग्यावये नूर अर्थ “हे माता यदि तुझे संतान को जन्म देना है तो या तो किसी
भगवान के भक्र्त को जन्म दे, या फिर किसी दानवीर को नहीं तो फिर किसी योद्धा को.
अगर तू ऐसा नहीं कर सकती है तो फिर क्यों अपनी सुन्दरता को बेकार मत कर”
सही अर्थों मैं तो माँ वही
कहलाती है जो की एक योग्य संतान को जन्म दे जो देश और समाज जो उन्नति के पथ पर आगे
ले कर जाये. एक आदर्श माँ ही आदर्श संतान को जन्म दे सकती है “शेरनी का दूध सवर्ण
पात्र मै ही आ सकता है, किसी ऐसे-वसें पात्र मै नहीं. इतिहास ऐसी माँऔ से भरा पडा
है जिन्होंने अपनी संतान को श्रेष्ट बनया. माँ जो संस्कार देती है वही बच्चे का
भविष्य बन जाता है. माँ तो उस विशाल पीपल के पेड़ की तरह होती है जिसकी छाया मै
संतान फलती फूलती है. अत: यह माँ का परम कर्तव्य है की वह अपनी संतान का शारीरिक,
बोद्धिक, मानशिक, नैतिक, आध्यात्मिक विकास और पोषण करके एक आदर्श माँ बने.
Mata Pita or Acche Sanskaar |
एक संतान तो कोरे कागज के
सामान है जिस पर जो भी लिखो वही अंकित हो जायेगा. उतम सन्तान तो अपने माँ-बाप की
आन, बान और शान होती है और यह जभी हो सकता है जब संतान को उत्तम संस्कार मिले.
संस्कारी संतान किसी भी देश
का भविष्य होता है. किसी भी देश की सम्पदा वन, नदी, पर्वत आदि नहीं अपितु संस्कारी
संतान होती है. वास्तविकता मै वन, नदी, पर्वत आदि देश की सच्ची संपति नहीं हो
सकती, अपितु सच्ची सम्पति तो अच्छे नेक संस्कार होती है जो एक गरीब से गरीब और
अमीर से अमीर भी अपनी संतान को दे सकता है. बस जरूरत है तो बस इसे समजने की.
माता पिता और अच्छे संस्कार |
देश की वर्तमान हालात मैं
अच्छे नेक संस्कार अनिवार्य है.अत: हमारा यह उतरदायित है की हम अपनी संतानओ को भले
ही संपति न दे पर उनको अच्छे संस्कार जरुर दे. इशलिये यह जरूर है की संतान को जन्म
से ही अच्छे संस्कार दे जिससे वह आगे चल कर देश और समाज को उत्थान कर सके.
Mata Pita or Acche Sanskaar - माता पिता और अच्छे संस्कार
वशीकरण में दीपक का तेल और बाती केसी होनी चाइये?
ReplyDeleteNice edit your line
ReplyDeleteNice keep it up
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