Importance of White Magic Spells Chanting | Naam Jap ka Prabhav or Mahattav



नाम जप की महिमा का वर्णन शब्दों में सम्भव नहीं है. हम कितना भी वर्णन करें उतना ही थोडा है. इसीलिए एक सची घटना आपके सामने रखता हूँ जिससे आप नाम के महिमा का अंदाजा लगा सकते है.


बात कबीर जी के समय की है की एक बार कलकत्ता का बड़ा मारवाड़ी सेठ करीब २५० यानी ढाई सो पंडितों को लेकर काशी में गंगा किनारे आया. दरअसल उसके शारीर में कोढ था और किसी ने उसको उपाय बता दिया होगा की कशी में जाकर ऐसा ऐसा करो जिससे आपका कोढ़ ठीक हो जाएग और वो चला आया. सयोंग की बात है की कबीर का पुत्र कमाल भी वहीँ पर मौजूद था. अब इतना लम्बा चौड़ा कार्यकर्म देख कर सभी को यही था की ये सेठ महाशय क्या करेंगे आज. इसी उत्सुकता से कमाल नई पूछ लिया की सेठ जी क्या माजरा है क्यों इतना झमेला इक्कठा किया हुआ है.

सेठ जी बोले: भैया मुझे तो बस कोढ़ मिटाना है इसके लिए दान पुण्य करूंगा, भंडारा भी करूंगा, और कई लाख रूपये खर्च कर दूंगा बस और क्या.
 
Importance of White Magic Spells Chanting
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कमाल बोला: ओह, कोढ़ मिटने के लिए लाखों रूपये खर्च करो गे, पैसे तुम खर्च करो जरूर, वो तुम्हारी मर्जी. लेकिन कोढ़ तो वैसे ही ठीक हो जायेगा तुम्हारा. बिना खर्चे के ही. बस गंगा में स्नान करो और ३ बार हे राम हे राम हे राम बोलो और कोढ़ गया समझो. 


सेठ ने सोचा: इतने बड़े बड़े इलाज में करवा चूका हूँ और पता नहीं कितनी प्रकार की दवाइयां खा चूका हूँ. उनसे तो कुछ हुआ नहीं, ये बस राम के नाम से ही इलाज कर देगा. अब यहाँ गंगा किनारे खड़े है इसको भी अजमा लो नहीं होना जाना तो क्या है इस से.


फिर क्या था, सेठ ने कमाल को प्रणाम किया और गंगा में घुस गया. सेठ ने दुबकी लगाईं और बोला हे राम. लेकिन बहार निकला और देखा की कोढ़ तो ज्यों का त्यों है.
 
Naam Jap ka Prabhav or Mahattav
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कमाल ने देखा और बोला अपने कुछ गलती की है. दोबारा करो, और सुना ध्यान से और दिल से राम का नाम लेना. इसीलिए अब दोबारा दुबकी लगाओ ओर प्रेम से बोलो हे राम और फिर देखो.

सेठ ने दोबारा दुबकी लगाईं और बोला हे राम. लेकिन इस बार भी कोढ़ वही का वहीँ.


अबकी बार कमाल नाराज होकर बोला. कैसा पत्थर आदमी है कुछ असर ही नहीं होता. अबकी बार कमाल खुद उतर पड़ा गंगा में और सेठ को बोला. अब लागों दुबकी. जैसे ही सेठ ने दुबकी लगाईं त्यों ही कमल ने पीठ पर डंडा मार दिया. सेठ व्याकुलता से बोल उठा हे राम, और बहार देखता है की कोढ़ गायब.


सेठ का कोढ़ गायब लेकिन पैसे भी कमाल ने नहीं लिए और बोला किसी अच्छे काम में ये पैसे लगा देना. तब कमाल उछलता कूदता घर आ गया और कबीर से बोला: पिताजी मैंने अज ३ राम नाम से एक कोढ़ी का कोढ़ दूर कर दिया. कमाल सोच रहा था की पितजि खुश होंगे लेकिन हुआ उल्टा: कबीर जी नाराज हुए और बोले की तूने ३ राम का नाम खर्च कर दिया एक कोढ़ी की लिए. कबीर जी बोले तू कुछ नहीं जानता, एक छोटे से काम के लिए तूने ३ राम नाम खर्च कर दिए. जा तू तुलसीदास जी के पास जा और नाम की महिमा को जान. तू कुछ नहीं जनता.


कमाल गया तुलसी दास जी के पास. और प्रणाम करके सारी बात बाता दी. फिर तुलसीदास ने सोचा कबीर ने इसको कुछ समझने के लिए भेजा है. तुलसीदास जी बोले जा और आस पास के सभी गाँव में ढन्डोरा पीटवा दो की जितने भी कोढ़ी है वो यहाँ आ जाए. सभी का इलाज किया जायेगा. इस तरह अगले दिन लगभग ७०० कोढ़ी इक्कठे हो गए और तुलसीदास जी ने एक कागज पर राम नाम लिख कर एक बड़े जल पात्र में उसको घोल दिया और फिर जिस कोढ़ी को छींटा लगते वो ही ठीक हो जाता और इस तरह सभी को तुलसीदास जी ने ठीक कर दिया. इससे कमाल और और भी आश्चर्य हुआ और पिताजी को जाकर सब हाल कह सुनाया. पिताजी बोले नहीं ये भी कुछ नहीं तुम सूरदास के पास जाओ .


अब कमल सूरदास के पास गया और अपना आने का मकसद कह सुनाया. तब सूरदास जी बोले जा सामने नदी में मुर्दा बहा जा रहा है उसको ले आ. सूरदास जी जन्म से अंधे थे. लेकिन आन्तरिक ज्ञान द्र्स्टी से उन्को सब कुछ दिखाई देता था. कमाल को अस्चर्य हुआ और वो मुर्दे को बहार निकाल लाया. तब सूरदास जी ने केवल राम के र के उचारण मात्र से उसको जीवत कर दिया. इस पर कमाल और जयादा अस्चर्या हुआ और जाकर अपने पिताजी से सब कथा कह सुनाई.

तब कबीर जी ने कहा: नहीं इतना ही नहीं इस नाम की महिमा इतनी ही नहीं है. इसकी महिमा अगाध है. इसको वर्णन नहीं किया जा सकता और न ही इसको वर्णन किया जा सकता है.


-    बापू जी के सत्संग अमृत से 


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