हर तरह के दुखों का नाश करने के लिए
बापूजी कहते है की किसी भी
तरह की परेशानी हो या दुःख हो अगर भगवन्नाम साथ है तो सब मिट जाता है, बल्कि दुःख
और परेशानी भगवन्नाम के नजदीक आती ही नहीं. भगवन्नाम से बढ़कर आज, हर तरह के दुखों का
नाश करने के लिए और कुछ है भी नहीं.
वास्तव में भगवन्नाम बहुत
ही मधुर और सुखों की खान है. स्वयं में ये एक बहुत बड़ा ऐश्वर्य है. हमारे सभी
शास्त्रों में इसकी बहुत भूरी भूरी परसंसा की है और इसकी महिमा भी गयी है.
हर तरह के दुखों का नाश करने के लिए |
परम पूज्य बापू जी कहते है
की जो भी कोई चाहे वो इंसान हो या जानवर अगर केवल दो अक्षर वाले नाम का उच्चारण भी
करता है तो वो दुःख रहित हो जाता है. इसी तरह नित्य जप करने वाले की तो बात क्या.
केवल हरि या राम के नित्य उच्चारण मात्र से वो सब मुक्त हो जाते है.
अगर उदेश्य और भी श्रेष्ठ
हो यानी परम ज्ञान या परमात्मा पद पाना हो तो इसके अलावा कोई और रास्ता ही नहीं
है. इस तरह के उद्देश्य वाले को तो खूब यत्न पूर्वक भगवन्नाम जप करना चाहिए.
To Mitigate or Remove the Every Kind of Sufferings |
भगवन्नाम जप की महिमा बहुत
ही विस्तृत है ये एक तरह से अनंत ही है. इसी जप के कारण से भगवन भोलेनाथ अविनाशी
हो गए है. भगवान् शिव का वेश अमंगल है लेकिन अगर कोई उनके दर्शन कर ले तो उसका
केवल मंगल ही होता है. आज तक जितने भी भक्त हुए है योगी शुकदेव जी, सभी मुनिजन,
सनकादिक सिद्धगण, व् अन्य योगीजन इस दिव्य नाम – जप से ही ब्रहमानंद के भोक्ता हुए
है. भक्त्शिरोमानियों में श्री नारद जी, परम सेवक हनुमान जी, प्रहलाद जी, ध्रुव
जी, केवट जी, शबरी भीलनी इत्यादि सभी ने इसी भगवन्न नाम जप द्वारा इस उच्चतम स्थति
को प्राप्त किया है.
नाम की महिमा तो अगाध है.
लेकिन हम पूर्ण रुप से न सही लेकिन इसके सामर्थ्य का कुछ वर्णन हमने यहाँ किया है.
संत महापुरुषों ने जो स्वयं अनुभव किये है वो ही तो हमारे जीवन का अधार है.
ज्ञानेश्वर महाराज ने नाम
जप की कुछ महिमा इस तरह परिभाषित की है:
जप नाम की कीर्तन मात्र से
सभी पाप नष्ट हो जाते है. उसके बाद पापों के लिए प्रायश्चित कहां रहा और इसका
व्यपार करने वालों धंदे ही ख़तम हो गए. वास्तव में नाम की कीर्तन से तिनका भर पाप
भी नहीं रहते. यम दमादि की शक्तियां इसके सामने फीकी पद जाती है. तीर्थ अपना महत्तव
छोड़ देते है. और क्या बोलें नाम जप वाले के लिए तो यम जा दरवाजा ही बंद हो जाता है.
यम किसे यातना दें और दम किसका भक्षण करें. जब पाप पूर्णतया नष्ट हो गया तो क्या
रहा. इस तरह से भगवन्नाम जप इस तरह से दुखों का नाश कर आनंद से भर देता है.
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