Isht Siddhi kaise Karen or Mantra Jap Ki Vidhi | मंत्र जप की विधि या इष्ट सिद्धि कैसे करें



आजकल जयादातर साधक कुछ थोडा बहुत जप करते है और उम्मीद करते है की मंत्र उनका गुलाम हो जाए और जैसा वो सोचते है वैसा वो करें. मतलब थोडा बहुत जप करें और चमत्कार हो जाए. इस हिसाब से तो पुस्तकालय का अधिकारी और वहां बैठने वाला कर्मचारी सब कुछ होना चाहिए मतलब एक डॉक्टर, इंजिनियर, और सब कुछ क्योंकि उसके पास तो हर तरह की किताब होती है. मतलब अगर एक विद्यार्थी केवल किताबें खरीद लें और उनको बस २ – ४ बार पढ़ लें तो बस हो गया काम और उसके १००% नंबर आने चाहिए. अगर आपकी सचमुच ये छमता है तो कोई भी मंत्र हो वो आपकी जप करने मात्र से फलीभूत होगा, १००% गारंटी की साथ.  लेकिन सभी जानते है ऐसा बिलकूल नहीं है. बड़ी क्लासेज की तो छोडिये पहली कक्षा के विद्यार्थी को भी साल भर बार बार पढना पड़ता है और तब वो पास होता है. इसी प्रकार उस विद्यार्थी को अगले १५ – २० साल तक कड़ी मेहनत करनी पड़ती है तब वो कहीं डॉक्टर या इंजिनियर बनता है. और मन्त्र सिद्धि आपको बस कुछ ही दिनों में मिल जाए. क्या मंत्र सिद्धि इस भौतिक विद्या से भी आसान है और कमजोर है. 


एक बात और जिस तरह एक कक्षा में सभी विद्यार्थियों का दिमागी स्तर अलग अलग होता है उसी प्रकार प्रत्येक साधक की एकग्रता और उसका अध्यात्मिक स्तर अलग -२ होता है. जैसे कक्षा में १ -२ विद्यार्थी केवल स्कूल में १ – २ बार समझाने पर ही सबकुछ समझ जाते है उसी प्रकार कुछ विद्यार्थियों की बार बार समझाना पड़ता है. तब उनको कुछ समझ आता है और कुछ को तो ट्यूशन पर भी कई बार समझने जाए तब भी बिलकूल समझ नहीं आता. इसी प्रकार साधक की एकग्रता और उसकी अध्यात्मिक स्तर पर मंत्र सिद्धि आधारित होती है. यानी साधक की एकग्रता उत्तम है और उसने पहले भी साधना की हुई है तो वो सचमुच जल्दी सिद्धि प्राप्त करता है लेकिन कुछ साधक जिन्होंने आज तक कोई साधना या मंत्र जप किया ही नहीं और वो सोचे की मंत्र जप किया और चमत्कार हो जाए तो वो उसके लिए अभी दूर है लेकिन असंभव बिलकूल नहीं.  


ध्यान रहे मानव इश्वर का ही अंश है और उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो कुछ भी भगवन कर सकते है या भगवन के पास जो भी शक्तियां है वो सब हमारी ही अमानत है. परमात्मा उन्हें हमें देने के लिए तत्पर है, बस हम ही उनकी तरफ ध्यान नहीं देते.


मंत्र सिद्धि या इष्ट सिद्धि के लिए कुछ आवश्यक विधि विधान व् शर्तें है, जिनको अगर आप जान लेंगे तो अवश्य ही सफल होंगे.


१.       सबसे पहली बात मंत्र चाहे कैसा भी हो उस पर पूर्ण विस्वास करो, अगर आपकी पूर्ण श्रधा या विस्वास है तो परिणाम भी शत प्रतिशत पूर्ण ही आएगा.


२.      मन्त्र जप अथार्थ किसी पवित्र शब्दों की पुनरावर्ती करना, इसमें क्या है की आप जप करते करते उस मंत्र के अर्थ में तल्लीन होते जायेंगे, इससे कम से कम जप में जयादा से जयादा लाभ मिलेगा.

३.      मंत्र साधक मुख्यत ३ तरह के होते है. 


i-                    कनिस्ठ – ये वो साधक होते है, जो कुछ न कुछ पाने के लिए जप करते है. ऐसे में इनका ध्यान तो केवल अपनी प्रिय वस्तु या जीव की तरफ ही होता है, जिससे मंत्र में ध्यान ही नहीं लगता और इस तरह के साधक सफलता बहुत देरी से प्राप्त करते है.

ii-                   माध्यम – कुछ ऐसे होते है जो बस जैसा अनुष्ठान में दिया गया है उनके अनुसार माला की गिनिती ही पूरी कर पाते है अथार्थ इनका ध्यान भी माला की गिनती में रहता है, इस तरह ये साधक भी सफलता कुछ देरी से ही प्राप्त करते है. लेकिन सफलता मिलती जरूर है.

iii-                 उत्तम साधक – इस श्रेणी के साधक अनुष्ठान की निश्चित माला तो करते ही है बल्कि उससे अलग और अधिक माला और जप भी करते है. अलग से ध्यान भी करते है और खाली समय का पूर्ण सदउपयोग करते है. ऐसे साधकों को सफलता जल्दी मिलती है.


अगर साधक बार बार असफलता के बाद भी लगा रहता है तो वो चाहे किसी भी श्रेणी का साधक क्यों न हो, अंत में सफलता अवश्य उसके चरण चूमती है. इसमें कोई संदेह नहीं है बस साधक को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. 


जप का तरीका : किसी भी मंत्र का पाठ करना हो तो वो बोलकर ही किया जाता है वो ही सर्वोतम होता है जैसे सुंदरकांड का पाठ इत्यादि, लेकिन मंत्र का जप हमेशा दिल से करना चाहिए मतलब की दिल में जप चलना चाहिए और होंठ और जिव्हा तो हिलनी भी नहीं चाहिए, मंत्र के लिये ऐसा ही जप सर्वोतम होता है. मंत्र जप हमेशा गोमुखी में रख कर ही जप करना चाहिए जैसा की फोटो में दिया गया है.
 
मंत्र जप की विधि या इष्ट सिद्धि कैसे करें
मंत्र जप की विधि या इष्ट सिद्धि कैसे करें
ध्यान रहें: अगर एक बार आप अपने इष्ट देव को या इष्ट मंत्र को सिद्ध कर लेतें है तो बार बार दुसरे मंत्र आपको सिद्ध करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि एक साधे सब सधे और सब साधे सब जाए ...


मंत्र जप या इष्ट सिद्धि के लिए समय, स्थान, दिशा, आसन, और माला का भी चुनाव और ध्यान रखन जरूरी होता है.


१.        मंत्र जप अनुष्ठान के लिए उचित समय : प्रतिदिन ब्रह्म्मुहारत का समय, दोपहर संध्या का समय यानी १२ बजे का समय और शाम को संध्याकाळ का समय सर्वोतम होता है जप अनुष्ठान के लिए लेकिन अगर ये समय पर न कर सकें तो कोई भी निश्चित समय पर जप करें, प्रतिदिन निश्चित समय पर ही जप करना  लाभदायक होता है. ऐसा नहीं की आज ६ बजे किया और कल का जप आप ८ बजे कर रहे है. ऐसा न करें.


२.       जप उपयोगी स्थान : पहले से अच्छी तरह विचार कर लें की कहां बैठ कर जप करना है. स्थान अच्छा हवादार और शांत होना चाहिए. अगर आप गौशाला, नहर या नदी के तट पर, या किस देवालय में और या फिर किसी महा गुरु के सानिध्य में जप करें तो जप का फल लाखों गुना बढ़ जाता है.


३.       उत्तर या पूर्ण की तरफ मुह करके जप करने से जप अनुष्ठान में जल्दी सफलता मिलती है.


४.      आसन – आसन के लिए मृगचरम, कुशासन का भी उपयोग होता है लेकिन आप उन के आसन का प्रयोग करके सभी लाभ उठा सकते है. बस वशीकरण के लिए लाल आसन का प्रयोग कीजिये. सुखासन में बैठ कर जप कीजिये और कमर और गर्दन सीधी होनी चाहिए इसका विशेस ध्यान रखें.


५.      जप के लिए माला का चुनाव – माला का निर्धारण इष्ट देव पर भी निर्भर होता है, साधारणत हम शिव और तंत्र आदि मंत्रों के लिए रुदाराक्ष की माला का प्रयोग करते है, रुदाराक्ष माला सभी तरह के तंत्र प्रयोगों में सिद्धि प्रदान करती है और बाकी शांति व् सम्पन्नता के लिए या भगवान् विष्णु आदि के जप के लिए तुलसी की माला जयादा उपयोगी है. ध्यान दें :- साधक को माला को प्राणों की तरह संभल कर रखना चहिये. माला को हमेशा गोमुखी में रख कर ही जप करना चाहिए.


६.       जप अनुष्ठान के लिए कितना जप प्रतिदिन करना चाहिये और कितने दिनों तक करना चहिये. ये सबकुछ प्रत्येक मंत्र पर अलग अलग आधारित होता है. या फिर आपके इष्ट देव का मंत्र पर अधारीत होता है. क्योंकि सबके इष्टदेव अलग अलग होते है.


मन्त्र जप में त्राटक का महत्तव - मंत्र जप अनुष्ठान के दौरान, जप अगर त्राटक करते हुए किया जाए तो उस से एकग्रता में चमत्कारिक रूप से बढ़ावा मिलता है. त्राटक आप ज्योत जलाकर भी कर सकते है और सूर्य त्राटक भी.


यहाँ हमने साधना के साधारण व् कुछ आवश्यक अंग वर्णन किये है, इसके अलावा कुछ विशिस्ट साधनाओं के लिए विशिस्ट अंग अलग -२ होते है. जो की सम्भवत तांत्रिक और शाबर विद्या साधना में पाए जाते है.


साधना में सफलता के लिए किसी भी संदेह के लिए निसंकोच कमेंट करें और रिप्लाई में पायें सुझाव तुरंत – इसी तरह की कीमती सूचना नियमित मिलती रहे उसके लिए सब्सक्राइब करना न भूलें.
 
Isht Siddhi kaise Karen or Mantra Jap Ki Vidhi
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Mantra Shakti ki Mahima | मंत्र शक्ति की महिमा



युग चाहे जो भी हो. सतयुग हो या कलयुग. मंत्र और मंत्र शक्ति की महिमा को किसी भी युग में नाकारा नहीं जा सकता. ये शक्ति जितने प्रभाव शाली उस युग में थी उतनी ही प्रभावशाली इस युग में भी है. अज की भौतिकवादी युग में जितनी यंत्रशक्ति प्रभावशाली होती है उससे जयादा शक्तिशाली और प्रभावशाली शक्ति मंत्र शक्ति होती है. मंत्र साधन ही ऐसा है की वो हमारे भीतर सोयी हुई चेतना को जगा देता है.


मंत्र शक्ति हमारी सोयी हुई महानता को जगा देते है. ये हमारे अंदर सोयी हुई शक्तियों का विकास करते है. जैसे माता पिता तो हमारी इस स्थूल शरीर को जन्म देते है लेकिन अगर हमको सच्चे सदगुरु मिल जाते है तो फिर वो हमारे सच्चा जनम करवा देते है और फिर वो जनम हमारा सफल होकर रहता है. अगर आप किसी सच्चे संत महापुरुष से मंत्र दीक्षा लेकर साधना शरू करता है फिर वो सफलता को आसानी से पा जाता है.
 
मंत्र शक्ति की महिमा
मंत्र शक्ति की महिमा

गुरु मंत्र के जाप से जीवन में संयम आता है. चमत्कारिक रूप से एकग्रता आती है और स्मरण शक्ति में आदित्य वृद्धि होती है. हमारे शरीर में ७ शक्ति केंद्र होते है.  इसी तरह मंत्र शक्ति की महिमा को जानकर आज तक बहुत महापुरुष हो चुके है. सभी महापुरुष इस दुनिया में आदरणीय व् पूजनीय स्थान प्राप्त कर चुके है. जैसे की महावीर, बुद्ध, कबीर, नानक, विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, परम पूज्य श्री लीला शाह जी महाराज आदि आदि.


मंत्र शक्ति के सही तरह के जानकार, हमारे भीतर उस सोयी हुई शक्ति को जगा देने का सामर्थ्य रखनेवाले सदगुरु के मार्गदर्शन के मुताबिक मंत्रजाप किया जाय तो फिर साधक के जीवन विकास में चार चाँद लग जाते है.


-    पूज्यपाद संत श्री आसाराम जी बापू
 
Mantra Shakti ki Mahima
Mantra Shakti ki Mahima

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Mantra Jap ki Shakti or Mahima | मंत्र जप की शक्ति और महिमा



इस भौतिक युग में जितना प्रभाव यंत्रशक्ति का है उस से भी कहीं जयादा प्रभाव और शक्ति मंत्र शक्ति की है और ये काम भी और जल्दी करती है. मंत्र की शक्ति सूक्षम स्तर पर काम करती है और इसका परिणाम हमारे भौतिक स्तर पर भी दिखलाई देता है. वास्तव में मन्त्र साधना एक औलोकिक और दिव्य साधना है इस से हमारि सोयी हुई चेतन शक्ति, जो की हमारे अंदर ही विद्यमान है जाग जाती है और प्रतिदिन न चाहते हुए भी चमत्कार होते रहते है. हमारे इस शरीर में बहुत सी चमत्कारी शक्तियां सुषुप्त अवस्था में क्रियाहिन् ही पड़ी रहती है. लेकिन जो कोई भी मंत्र जप साधना करके इनको जगाता है वो युग में चमक जाता है.
 
मंत्र जप की शक्ति और महिमा
मंत्र जप की शक्ति और महिमा

माता पिता तो हमारे इस शरीर को जन्म देते है और ये शरीर उन्ही की शरीर से बनता है. लेकिन अगर कोई सच्चे महापुरुष मिल जाये तो वो हमारे अंदर की शक्तियों को जगा देते है और हमको महान बना देते है. अगर साधक मंत्र जप का अनुष्ठान किसी सच्चे महापुरुष या सदगुरु की मार्गदर्शन में करे तो निश्चय ही साधक की भौतिक और अध्यात्मिक उन्नति में चार चाँद लग जाते है.
 
Mantra Jap ki Shakti or Mahima
Mantra Jap ki Shakti or Mahima

सदगुरु की शरण में जाप करने के फायदे:

१.       सच्चे सदगुरु हमारे चिन्मय वपु को जगा देते है.

२.      मंत्र जाप से साधक की सोयी हुई आत्मिक शक्तियां जाग जाती है.

३.      मंत्र जाप से चंचलता दूर होती है और साधक सफलता जल्दी हासिल करता है.

४.      साधक का जीवन संयमी बन जाता है.

५.     मंत्र जाप साधना से एकाग्रता व् स्मरण शक्ति में चमत्कारी लाभ मिलता है.

६.      मंत्र जप शरीर के सभी केन्द्रों पर अपना प्रभाव दाल ता है और उनको क्रियाशील बनता है.

७.     आज तक बहुत से साधक मंत्र जप का अनुष्ठान करके महान हो गए है जैसे स्वामी लीलाशाह, स्वामी राम तीरथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकआनंद इत्यादि ... 

-    बापू जी के सत्संग प्रवचनों से 


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